Sunday, September 20, 2009

बाग में विराजती हंै बाग वाली माता


जिन्न की राड़ी में मिलते हैं पकवान

विजय कुरकुरे

भोपाल। कोलांस नदी के किनारे कजलास के बाग में विराजती हैं मां बाग वाली माता। गांव में चर्चा है कि मां के दरबार के पीछे जिन्न की राडी है जहां पहुंचने पर लोगों को तरह-तरह के पकवान खाने को मिलते हैं। मंदिर के पास मिट्टी में भगवान हनुमान की प्रतिमा भी दबी है। जिसकी लम्बाई लगभग पांच फीट है। जो पंडित रामदास बाबा को दर्शन दे चुकी हैं। मान्यता यह भी है कि यहां इच्छाधारी नाग भी है जो माता के मंदिर की रखवाली करता है। मान्यता तो यह भी है कि मां के दरबार में पहले रोज शेर भी आया करता था। राजधानी से लगभग 22 किमी दूर ईटखेडी, लसुडीया घाट, कजलास एवं कोडिया चारों गांव के बीचों-बीच कोलांस नदी के किनारे स्थित प्राकृतिक हरीतिमा के मध्य बाग वाली माता के दरबार में जब श्रद्धालु पहुंचते हैं तो आस्थामय सुखद अनुभव होता है। गांव वालों के अनुसार सैकड़ों वर्ष पूर्व राजा-महाराजाओं के शासन काल में यहां बाग में मां की मूर्ति मिली थी जिसे चरवाहों ने एक चबूतरे पर उसकी स्थापना कर दी थीे। मां बाग वाली माता की मूर्ति के पास अन्य मूर्तियां भी थीं जिनका पानी में विसर्जन किया जा चुका है। बाग में मूर्ति मिलने के बाद से ही माता को बाग वाली माता के नाम से जाना जाने लगा। माता के दर्शनों की लालसा लिए भक्तों का तांता लगा रहता है। विश्राम सिंह पटेल, प्रकाश, विजय सिंह, धनराज सहित अन्य गांव वालों ने बताया कि लगभग तीस वर्ष पूर्व माता के दर्शन करने जाने के लिए लोगों को बड़ी दिक्कतें होती थीं। जंगल होने के कारण यहां पर लोगों को जाने में डर लगता था। अभी भी लोगों को मां के दर्शनों के लिए जंगल में नदी पार कर जाना पड़ता है। मां के दरबार तक एक पगडंडी जाती है। जिससे लोगों का आना-जाना होता है। गाड़ी से जाना कठिन है। मिट्टी में दबी है भगवान हनुमान की मूर्ति: पंडित रामदास बाबा के अनुसार मां के दरबार के ठीक सामने भगवान हनुमान की मूर्ति मिट्टी में दबी है। जो एक बार उन्हें भी दर्शन दे चुकी है। भगवान की पांच फीट की मूर्ति है। मान्यता यह है कि भगवान की मूर्ति धीरे-धीरे अपने आप बाहर आएगी। गांव वाले नवरात्रि में मां बाग वाली माता के दरबार में घंटों बैठे रहते हैं। यहां आसपास के गांव के लोग आते हैं जिससे यहां चहल-पहल बनी रहती है। मां के चमत्कारोंं के चलते यहां लोग मुराद पूरी होने पर भी आते हैं। जिन्न की राड़ी : मंदिर के पीछे कोलांस नदी के किनारे पर जिन्न की एक बाड़ी है जहां पहुंचने पर लोगों को तरह-तरह के पकवान खाने मिलते हैं। जिन्न की बाड़ी तक पहुंचने के लिए गांव वालों को गहरे जंगल से होकर जाना पड़ता है। कई लोग मिलकर ही जिन्न की बाड़ी तक पहुंच पाते हैं। जंगल में तरह-तरह की आवाजें आती हैं जिसके कारण यहां गांव वालों को जाने में डर लगता है। जिन्न की बाड़ी तक पहुंचने का मार्ग कठिन होने के कारण मां के मंदिर के पास ही एक जगह पर जिन्न की बाड़ी का स्वरूप बनाया गया है। यहां पर लोभान जलाकर उनका आव्हान किया जाता है।

7 comments:

  1. आपका हिन्दी चिट्ठाजगत में हार्दिक स्वागत है. आपके नियमित लेखन के लिए अनेक शुभकामनाऐं.

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  2. चिटठा जगत में आपका हार्दिक स्वागत है. सार्थक लेखन के लिए शुभकामनाएं. जारे रहें.
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    Till 25-09-09 लेखक / लेखिका के रूप में ज्वाइन [उल्टा तीर] - होने वाली एक क्रान्ति!

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  3. आपका हिन्दी चिट्ठाजगत में हार्दिक स्वागत है....... शुभकामनाऐं.

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  4. ब्लागिंग की दुनिया में आपका स्वागत हॆ.मॆं आपके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं.

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  5. आपका हिन्दी चिट्ठाजगत में हार्दिक स्वागत है। सुन्दर भावाभिव्यक्ति।

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  6. आपके नियमित लेखन के लिए अनेक शुभकामनाऐं.

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  7. aadarniya, jai mai ki,
    Bag bali mata lekh ko padhkar shanti mili.
    shailendra saxena "Sir"
    Ganj Basoda. M.P.
    09827249964

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